Posts

Showing posts with the label Hindi Creations

Types of Investment Plans in India | Investment Options in India

Image
India has been an attractive investment destination because of its sound Economy. Another factor is the performance of the Mutual Fund industry and Indian Stock Markets. There are various investment opportunities available for Indian residents as well as NRIs seeking to invest in the Indian Capital Market. The invention of the internet and information technology, globalization and international cooperation with free trade practices, high-level education & training facilities, and currency management has changed the scenario of Wealth Management. It is a high-level professional service that combines investment and financial advice and is designed to utilize, grow, protect, and disseminate one’s wealth. Following are the key investment areas of Wealth Management in the Indian Capital Market as well as the Indian Money Market. Types of Investment Plans in India include the following: Direct Equity - It is probably the most potent investment vehicle to buy partial ownership of a compa...

Most Important Questions Asked in Competitive Exams | Important MCQs for Competitive Exams

आइये! देखते हैं की प्रतियोगी परीक्षाओं में विभिन्न विषयों से किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। इस लेख में हमने विभिन्न विषयों को शामिल किया है जिनमें से प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नों के पूछे जाने की अधिक संभावना होती है। इतिहास, भूगोल, भारतीय राजव्यवस्था, भारतीय अर्थव्यवस्था, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान तथा करंट अफेयर्स जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों से हमने प्रत्येक विषय से दो-दो प्रश्न चुनते हुए 16 प्रश्नों की एक श्रृंखला तैयार की है।  इन प्रश्नों की मदद से आप यह जान पाएंगे की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विभिन्न विषयों को किस तरह से पढ़ा जाए और साथ ही साथ आप परीक्षा में सर्वाधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों की तैयारी के प्रति अपनी समझ को भी विकसित कर सकते हैं।  इतिहास - 2 Q. 1:- स्वतंत्र भारत के प्रथम एवं एकमात्र भारतीय गवर्नर जनरल कौन थे?         (A) दादाभाई नौरोजी (B) चक्रवर्ती राजगोपालाचारी       (C) भीमराव अंबेडकर (D) लॉर्ड माउंटबेटन                     ...

भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण - Nationalisation of Banks in India

इससे पहले कि हम बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बारे में विस्तार से चर्चा शुरू करें, आइए “राष्ट्रीयकरण” शब्द के सही अर्थ को समझें। राष्ट्रीयकरण निजी व्यक्तियों या क्षेत्रों से सरकारी क्षेत्रों को स्वामित्व हस्तांतरित करने की एक प्रक्रिया है। इसी तरह, भारत में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के मामले में, जो दो चरणों में चला, बैंकों के स्वामित्व, विनियमन और नियंत्रण को निजी अधिकारियों से सरकार के हाथों में स्थानांतरित कर दिया गया। बैंकों का राष्ट्रीयकरण निजी एकाधिकार को समाप्त करने और भारतीय रिजर्व बैंक के कानूनों और विनियमों के अनुसार भारतीय बैंकिंग प्रणाली को चैनलाइज करने का एक कदम था। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बैंकों का राष्ट्रीयकरण पहली बार किया गया था। राष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को छोड़कर भारत के सभी बैंकों के प्रावधानों और विनियमों को निजी व्यक्तियों द्वारा स्वामित्व और प्रबंधित किया जाता था।  भारत में बैंकों का राष्ट्रीयकरण दो अलग-अलग चरणों में हुआ। वर्ष 1969 में, भारत सरकार ने बैंकिंग कं...

हिन्दी शायरी - Hindi Shayari | Hindi Poetry

ज़िंदगी की दास्ताँ :-  "जिंदगी की कश्मकश में जाने कब वो शख्स इतना बड़ा हो गया,  गिरता - संभलता आखिर आज वो अपने पैरों पर खड़ा हो गया।" हौसलों की कश्ती :-  "तू चल, बस चलता रह, थक कर हार जाये तू इतना कमजोर कहाँ,  डूबा सके तेरे हौसलों की कश्ती, इन लहरों में इतना जोर कहाँ।" ज़िंदगी का सफर :-  "माना आसान नहीं हैं राहें, ना ही मंज़िल का ठिकाना है,  फिर भी कुछ अरमानों की चाहत में, बिन मंज़िल ही चलते जाना है,  है राह नयी, है सफ़र नया, इस सफर में कुछ पल तो संग चलो,  बेनूर इस ज़िंदगी में, कुछ मैं चित्र बनाता हूँ, कुछ तुम रंग भरो।" ............ कुछ पल तो संग चलो! यादों के दरमियाँ :-  "शायर तो नहीं हैं हम, फिर भी इरशाद करते हैं,  तुम्हारी गुमशुदगी की रब से आज भी फ़रियाद करते हैं,  ग़ैर बनकर ही सही, कभी तो मिलोगे किसी मोड़ पर,  बस इसी ख्वाहिश में हम, तुम्हें आज भी याद करते हैं।"  अंजान राहें :-  "अंजान राहों में खो जाता है जो,  खुले आसमा में भटकता ऐसा एक परिंदा है,  चाहकर भी न भूल पाया उस शख्स को,  जिसकी चाहत का अश्क़ आज ...

कोविड-19 महामारी तथा मध्यम वर्गीय छात्रों के सामने वित्तीय समस्या

COVID-19 महामारी के इस विकट समय ने मानव संसाधनों और आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया है। इस विपरीत समय में, मध्यम वर्गीय समाज से आने वाले छात्रों को कमरे के किराए, उनके कॉलेज की फीस और उसी के लिए आवश्यक अन्य संसाधनों के बारे में विचार कर निराशा उत्पन्न होती है। समस्या यह है कि कई छात्र अपने संबंधित गृहनगर की ओर बढ़ गए हैं जो पहले अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए शहरों में किराए के कमरों में रहते थे। हालांकि वे अपने किराए के कमरे में नहीं रह रहे हैं, उन्हें किराए का भुगतान करना होगा। इसके अलावा, छात्रों के लिए कॉलेज और स्कूलों की फीस कुछ अन्य प्रमुख चिंताएं हैं। चूंकि वर्तमान समय के दौरान कोई आय का स्रोत नहीं है, इसलिए उनके लिए किराए के कमरे और कॉलेज की फीस के साथ-साथ उनके बकाये का भुगतान करना बहुत मुश्किल है। इसके लिए, सरकार को या तो सब्सिडी देनी चाहिए या मकान मालिकों और शैक्षणिक संस्थानों को बकाया में कटौती करने के लिए कहना चाहिए। इस कठोर समय के दौरान, कई परिवारों के लिए राजस्व सृजन का कोई स्रोत न होने पर जीवित रहना और दिन-प्रतिदिन के खर्च संभालना तक बहुत मुश्किल हो गया है...

आज और कल

सामान्य परिदृश्य में "आज" को विशेष महत्व दिया जाता है, लेकिन "कल" की भी अपनी अलग खासियत है। आज सिर्फ आज के लिए ही है और ये आज आज ही खत्म हो जायेगा, लेकिन कल हमेशा आयेगा और ये कल ही हमे जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है! ठीक वैसे ही जैसे हर ढलती हुई शाम के बाद आशा की एक नई किरण लेकर सवेरा आता है। याद रखिये, आज सिर्फ आज तक ही सीमित है, लेकिन जो कल है वो कल भी आयेगा और उस कल के बाद एक नया कल भी आयेगा और ये क्रम यूँ ही चलता रहेगा। परंतु आज कभी नहीं आयेगा। हम सब भले ही आज को विशेष महत्व देते हैं, लेकिन वास्तव में हम कल के लिए जीते हैं और इसी आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए आज से संघर्ष करते हैं।

भारत - मेरा देश महान है....!!!

भारत एक भू-भाग के लिए प्रयुक्त मात्र एक संज्ञा है, अगर कुछ ऐसा है जो इस देश को एक अलग पहचान देता है और भारत की भारतीयता को सार्थक करता है तो वो हैं इस देश के वासी, यहाँ की संस्कृति, सभ्यता, और विविधता में एकता की शक्ति। बावजूद इसके, लोगों को आपस में लड़ाया जा रहा है, कट्टरता तो कुछ इस तरह समायी है की लोगों को अपने सिवाय कुछ और दिखता ही नहीं। जिनके द्वारा लोगों को इस आग में धकेला जा रहा है, अगर उनके बीच आपसी ताल-मेल बन जाये तो इस समस्या का हल निकाला जा सकता है, लेकिन इससे उन्हें क्या फर्क पड़ता है। मुझे तो आज तक ये समझ नहीं आया की ऐसा करने से किसका और किस प्रकार से फ़ायदा हो सकता है। जो कुछ भी हो रहा है देश में, इससे किसको लाभ मिलेगा ये तो नहीं पता, पर इसका बुरा असर पूरे देश में देखने को मिल रहा है, कहने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम सभी अपने निजी जीवन में इसके दुष्परिणाम देख रहे हैं। तात्पर्य सिर्फ इतना है की जैसे बूँद-बूँद से सागर बनता है ठीक कुछ इसी प्रकार इस भू-भाग पर निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को जोड़कर इस विशाल भारत देश का निर्माण हुआ है। व्यक्ति-विशेष की गतिविधि संपू...

समय के साथ बदलता वर्तमान परिदृश्य - रचनात्मक सृजन

महापुरुष और वर्तमान परिदृश्य -  'महापुरुष' - एक ऐसा शब्द जो स्वयं में पूर्णतः अलंकृत है और जिसे परिभाषित करने के लिए किसी व्याख्यान की आवश्यकता नहीं। परंतु न जाने क्यों ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह शब्द और इसकी गरिमा का मान रखने वाले व्यक्तित्व सिर्फ पौराणिक एवं काल्पनिक कथाओं और इतिहास के पन्नों तक ही सिमट कर रह गए हैं............!!! वस्तुतः विश्व में आज भी ऐसी कई विलक्षण प्रतिभाएं हैं जिन्होंने अपने वजूद का परिचय दिया है और यह भी सिद्ध कर दिखाया की वे भी 'महापुरुष' कहलाने के अधिकारी हैं........... लेकिन अगर इस बात को वर्तमान परिदृश्य से संदर्भित किया जाए तो ये कभी इज़ाज़त नहीं देगा...........  क्यों? ..... क्योंकि इसके दो कारण हो सकते हैं..... पहला यह कि शायद अब महापुरुष रह ही नहीं गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं है.......................और दूसरा यह की मनुष्य की खुद को सर्वश्रेष्ठ (I am the best) मानने वाली सोच, स्वाभिमान की असीम पराकाष्ठा, और निज स्वार्थ ने कुछ ऐसा जकड़ लिया है की वह न तो खुद आगे जा सकता है और न दूसरे को जाने दे सकता है..... हाँ, एक नई प्रवृत्ति ने ...

मेरी अभिलाषा - हिंदी सम्राट श्री माखनलाल चतुर्वेदी को समर्पित

बहा दे दिलों में जो प्रेम की धारा, मैं उस सागर का मीठा पानी बनूँ, जोड़ दे दिलों को दिलों से जो, मैं उस अनेकता में एकता की कहानी बनूँ, देश के सम्मान में जो सर कटा दे अपना, मैं वो सच्चा हिंदुस्तानी बनूँ, घमण्ड में लिप्त हो निज स्वार्थ जिसका, मैं न वो अभिमानी बनूँ, प्रेम प्रसार हो निज भावना जिसकी, में वो बंदा स्वाभिमानी बनूँ, रख सके जो लाज अपनी मातृभूमि की, मैं उस गौरव की कहानी बनूँ, अलख जगा दे जो भाईचारे की, मैं उन करोङो भारतीयों की वाणी बनूँ, कर सके जो अपने निज संस्कारों का पालन, मैं वो अखंड ज्ञानी बनूँ, समर्पित हो जीवन जिसका राष्ट्र की सेवा में, मैं वो दिलेर दानी बनूँ, वसुधैव कुटुम्बकम हो राग जिसका, मैं उस वतन की अमिट कहानी बनूँ, "मैं भारत के चरण-रज की निशानी बनूँ" "मैं भारत के चरण-रज की निशानी बनूँ"                                               ----- अंगद यादव