हिन्दी शायरी - Hindi Shayari | Hindi Poetry
ज़िंदगी की दास्ताँ :- "जिंदगी की कश्मकश में जाने कब वो शख्स इतना बड़ा हो गया, गिरता - संभलता आखिर आज वो अपने पैरों पर खड़ा हो गया।" हौसलों की कश्ती :- "तू चल, बस चलता रह, थक कर हार जाये तू इतना कमजोर कहाँ, डूबा सके तेरे हौसलों की कश्ती, इन लहरों में इतना जोर कहाँ।" ज़िंदगी का सफर :- "माना आसान नहीं हैं राहें, ना ही मंज़िल का ठिकाना है, फिर भी कुछ अरमानों की चाहत में, बिन मंज़िल ही चलते जाना है, है राह नयी, है सफ़र नया, इस सफर में कुछ पल तो संग चलो, बेनूर इस ज़िंदगी में, कुछ मैं चित्र बनाता हूँ, कुछ तुम रंग भरो।" ............ कुछ पल तो संग चलो! यादों के दरमियाँ :- "शायर तो नहीं हैं हम, फिर भी इरशाद करते हैं, तुम्हारी गुमशुदगी की रब से आज भी फ़रियाद करते हैं, ग़ैर बनकर ही सही, कभी तो मिलोगे किसी मोड़ पर, बस इसी ख्वाहिश में हम, तुम्हें आज भी याद करते हैं।" अंजान राहें :- "अंजान राहों में खो जाता है जो, खुले आसमा में भटकता ऐसा एक परिंदा है, चाहकर भी न भूल पाया उस शख्स को, जिसकी चाहत का अश्क़ आज ...
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